ललित निबंध आउ लोक साहित्य

डॉ राम प्रसाद सिंह के प्रस्तुत निबंध संग्रह दू खण्ड में विभाजित हे। पहिला खण्ड में गिरगिट, साँप, छुछूंदर, सूअर, कुत्ता, लगन के फेरा आउ मेहमानबाजी के चक्कर, आठ निबंध हे। ई सब निबंधन में आज के राजनीति, राजनेता आउ व्यवस्था पर गहरा व्यंग्य हे। भारतेन्दु काल के जीवंत लेखक बाल कृष्ण भट्ट, प्रताप नारायण मिश्र, बाल मुकुन्द गुप्त, बद्री नारायण ‘प्रेम धन’ आउ खुद भारतेन्दु बाबू आपण समय के धार्मिक आउ राजनैतिक समस्या पर बड़ा तीखा व्यंग लिखलन हले।

भारतेन्दु काल के बाद आज मगही भाषा के माध्यम से ओही काल नियन तीखा आउ गहरा व्यंग डॉ राम प्रसाद सिंह के ई सब निबंधन में देखल जा सकS हे। इंकार पहिला खण्ड के आठो निबंध में कबीर नियन बड़ा तेज़ आउ कडुआ व्यंग्य हे बाकि व्यक्तिक अनुभूति में व्यंग्य के चासनी मिला के तथ्य के रखल गेल हे जेसे हास्य उपजावइत ई निबंध सामाजिक आउ राजनीतिक व्यवस्था के माध्यम के पोस्ट मार्टम कर देहे।